Shardiya Navratri Special Puja Vidhi | माँ के नो रूपों को कैसे खुश करे
Shardiya Navratri Special Puja Vidhi - नवरात्र में जो भक्त जिस मनोभाव और कामना से श्रद्धापूर्ण विधि-विधान के साथ मां के माहात्म्य दुर्गा सप्तशती का पाठ करता है, मां उसे उसी भावना और कामना के अनुसार फल प्रदान करती हैं।
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Shardiya Navratri Special Puja Vidhi
Shardiya Navratri Special Puja Vidhi Shardiya Navratri Special Puja Vidhi - नवरात्र में जो भक्त जिस मनोभाव और कामना से श्रद्धापूर्ण विधि-विधान के साथ मां के माहात्म्य दुर्गा सप्तशती का पाठ करता है, मां उसे उसी भावना और कामना के अनुसार फल प्रदान करती हैं। नवरात्र में देवी की नौ दिनों की पूजा नवग्रहों के अनिष्ट प्रभाव को भी शांत रखती है, जिससे रोग और शोक दूर होते हैं। भगवती दुर्गा नौ स्वरूपों में भक्तों के संकल्पित कार्य पूर्ण करती हैं, इसलिए उनकी उपासना का क्रम नौ दिन का होता है।
इस आर्टिकल में आपको माँ के नो रूपों को आप अलग अलग दिन कैसे खुश किया जाता है इस बात की जानकारी मिलने वाली है। निचे मैं आपको विस्तार से नवरात्री के दिन माता को खुश करने की जानकारी दे रहा। जिन्हें पढ़कर आप बहुत ही आराम से माता के सभी रूपों को खुश कर सकते हो।
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माँ शैलपुत्री को ऐसे खुश करे
माँ शैलपुत्री को ऐसे खुश करे नवरात्री के प्रथम दिन सभी भक्त नौ विग्रह रूपों में से माता के पहले स्वरूप 'शैलपुत्री' की उपासना करते हैं। उनका नाम शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण पड़ा। अपने पति का अपमान होने के कारण सती स्वरूप द्वारा यज्ञ अग्नि में स्वयं को भस्म करने के पश्चात उन्होंने पर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया। माता के पहले रूप में एक हाथ में त्रिशूल तथा दूसरे में कमल का फूल सुशोभित होता है। उनका वाहन वृषभ अर्थात बैल है। भगवान शंकर की भांति वे भी पर्वतों पर निवास करती हैं।
माँ शैलपुत्री को ऐसे खुश करे
अगर आप माँ शैलपुत्री को खुश करना चाहते है। तो देवी संवाद अनुसार, माता को सफेद एवं लाल रंग की वस्तुएं बहुत पसंद हैं, इसलिए नवरात्र के पहले दिन उनके इस स्वरूप के समक्ष सफेद या लाल रंग के पुष्प अर्पित कर लाल सिंदूर लगाएं।
गाय के दूध से बने पकवान एवं मिष्ठान का भोग लगाने से माँ शैलपुत्री अपने भक्तों से प्रसन्न होकर उनकी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। साथ ही भक्तों के घर की दरिद्रता को दूर करके उनके परिवार के सभी सदस्यों को रोगमुक्त कर देती हैं। भक्त को संशय रहित होकर माँ शैलपुत्री का पूजन करना चाहिए।
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माँ ब्रह्मचारिणी को ऐसे खुश करे
माँ ब्रह्मचारिणी को ऐसे खुश करे नवरात्री में देवी का दूसरा रूप शक्ति विग्रह ब्रह्मचारिणी या तपस्चारिणी अर्थात तप का आचरण करने वाला है। सत, चित्त, आनंदमय ब्रह्म की प्राप्ति कराना ही मां के दूसरे स्वरूप का उद्देश्य एवं स्वभाव है। उनकी आभा पूर्ण चंद्रमा के समान निर्मल, कांतिमय है। उनकी शक्ति का स्थान 'स्वाधिष्ठान चक्र' में है।
माँ ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में कमंडल तथा दूसरे में जप की माला रहती है। नवरात्र के दूसरे दिन भक्त माता के इसी विग्रह की पूजा, अर्चना और उपासना करते हैं। माता भक्तों को उनके प्रत्येक कार्य में सफलता प्रदान करती हैं। उनके उपासक सन्मार्ग से कभी नहीं हटते हैं।
माँ ब्रह्मचारिणी को ऐसे खुश करे
अगर आप नवरात्री के दिन माँ ब्रह्मचारिणी को खुश करना चाहते है। तो ब्रह्मचारिणी माता को गुड़हल और कमल के फूल बहुत पसंद हैं। नवरात्र के दूसरे दिन इन्हीं पुष्पों को अर्पित करने तथा चीनी, मिश्री और पंचामृत का भोग अर्पित करने से मां अतिशीघ्र प्रसन्न होकर लंबी आयु एवं सौभाग्य प्रदान करती हैं।
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माँ चंद्रघंटा को ऐसे खुश करे
नवरात्री में पूजा जाने वाला मां के तीसरे शक्ति विग्रह का नाम चंद्रघंटा है, जिनकी पूजा नवरात्र के तीसरे दिन की जाती है। चंद्रघंटा स्वरूप में मां का रंग सोने के समान चमकीला और तेजस्वी है। उनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्द्धचंद्र है, इसी कारण मां को चंद्रघंटा नाम से संबोधित किया जाता है।
चंद्रघंटा माँ के इस रूप में मां के दस हाथ हैं, जिनमें से एक हाथ में कमल का फूल, एक में कमंडल, एक में त्रिशुल, एक में गदा, एक में तलवार, एक में धनुष और एक में बाण हैं। उनका एक हाथ हृदय पर, एक हाथ आशीर्वाद मुद्रा में और एक अभय मुद्रा में भक्तों के कल्याण के लिए रहता है।
मां चंद्रघंटा के गले में सफेद फूलों की माला रहती है और उनका वाहन बाघ है। देहधारियों में इस रूप का स्थान मणिपुर चक्र है। तीसरे दिन साधक इसी चक्र में ध्यान लगाते हैं। उनकी कृपा से श्रद्धालुओं को अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं, दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है और दिव्य ध्वनियां सुनाई पड़ती हैं। मां सच्चे भक्त को शीघ्र फल देती हैं।
माँ चंद्रघंटा को ऐसे खुश करे
मां अंतर्मन में स्थित दैवीय शक्ति उद्घोष कर मार्गदर्शन करती हैं कि नवरात्र के तीसरे दिन उनके चंद्रघंटा स्वरूप को दूध या इससे बने पदार्थों को अर्पित कर प्रसाद के रूप में भक्तों को वितरित करने से वे दुखों का नाश कर देती हैं।
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माँ कूष्मांडा को ऐसे खुश करे
माँ कूष्मांडा को ऐसे खुश करे नवरात्री में मां का चौथा स्वरूप माँ कूष्मांडा कूष्मांडा का है। नवरात्र के चौथे दिन भक्त उनके इसी रूप की पूजा करते हैं। मंद और हल्की-सी मुस्कान मात्र से अंड को उत्पन्न करने वाली होने के कारण ही उनके इस रूप को कूष्मांडा कहा गया है।
जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, चारों ओर अंधकार ही अंधकार था, तब मां ने महाशून्य में मंद हास से उजाला करते हुए 'अंड' की उत्पत्ति की, जो बीज रूप में ब्रह्म तत्व के मिलने से ब्रह्मांड बना और यही उनका अजन्मा तथा आद्यशक्ति का रूप है। जीवों में उनका स्थान 'अनाहत चक्र' में माना गया है।
माँ कूष्मांडा को ऐसे खुश करे
अगर आप नवरात्री के दिन माँ कूष्मांडा को खुश करना चाहते है। तो नवरात्री के चौथे दिन मां के इस स्वरूप के समक्ष मालपुए का भोग लगाना चाहिए, तत्पश्चात इस प्रसाद को घर में मोजूद सभी मेंबर को प्करसाद रें और स्वयं भी ग्रहण करें। ऐसा करने से भक्तों की बुद्धि का विकास होने के साथ ही उनके निर्णय लेने की क्षमता भी अच्छी होती है।
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माँ स्कंदमाता को ऐसे खुश करे
माँ स्कंदमाता को ऐसे खुश करे नवरात्री के पाचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। माँ स्कंदमाता पार्वती स्वरूप के पुत्र हैं कुमार कार्तिकेय, जिन्हें स्कंद नाम से भी पुकारा जाता है। देव सेनापति बनकर तारकासुर का वध करने वाले तथा मयूर (मोर) को वाहन के रूप में अपनाने वाले स्कंद की माता होने के कारण ही मां के इस रूप को 'स्कंदमाता' के नाम से पुकारा जाता है। नवरात्र के पांचवें दिन उनके इसी रूप की पूजा-अर्चना की जाती है।
माँ स्कंदमाता का विग्रह स्वरूप चार भुजाओं वाला है और उन्होंने गोद में भगवान स्कंद को बैठा रखा है। एक भुजा से धनुष बाणधारी, छह मुखों वाले (षडानन) बाल रूप स्कंद को पकड़ा है और दूसरी भुजा से मां भक्तों को आशीर्वाद एवं वर प्रदान करती हैं। शेष दोनों भुजाओं में कमल पुष्प है। मां का वर्ण पूरी तरह निर्मल कांति वाला सफेद है और वे कमलासन पर विराजती हैं, इसलिए उन्हें पद्मासना नाम से पूजा जाता है। मां ने वाहन के रूप में सिंह को अपनाया है।
माँ स्कंदमाता को ऐसे खुश करे
नवराति के पांचवें दिन माँ स्कंदमाता को प्रसन्न करने के लिए भक्तों को केले का भोग लगाना चाहिए। या फिर इसे प्रसाद के रूप में दान करना चाहिए। इससे माता अपने भक्त को परिवार में सुख-शांति का वरदान प्रदान करती हैं।
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माँ कात्यायनी को ऐसे खुश करे
माँ कात्यायनी को ऐसे खुश करे माँ कात्यायनी सुनहले और चमकीले वर्ण, चार भुजाएं और रत्नाभूषणों से अलंकृत मां का छठा स्वरूप कात्यायनी का है। इस रूप में मां खूंखार और झपट पड़ने वाली मुद्रा में सिंह पर सवार हैं। मां का आभामंडल विभिन्न देवों के तेज अंशों से मिश्रित इंद्रधनुषी छटा देता है। मां का यह छठा विग्रह रूप है, जिसकी पूजा-अर्चना नवरात्र के छठे दिन भक्तगण करते हैं।
माँ कात्यायनी के इस स्वरूप में उनकी एक ओर की दोनों भुजाएं क्रमशः अभय देने वाली मुद्रा में और वर देने वाली मुद्रा में रहती हैं। दूसरी ओर की एक भुजा में मां ने चंद्रहास खड्ग (तलवार) धारण किया है और दूसरी भुजा में कमल का फूल धारण किया है। एकाग्रचित और पूर्ण समर्पित भाव से मां की उपासना करने वाला भक्त बड़ी सहजता से धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष आदि चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति कर लेता है।
माँ कात्यायनी को ऐसे खुश करे
अगर आप नवरात्री के दिन माँ कात्यायनी को खुश करना चाहते है तो नवरात्री के छठे दिन मां को प्रसन्न करने के लिए मधु यानी शहद का भोग लगाकर उनके इस रूप का ध्यान, स्तवन करने से मां साधक को सुंदर यौवन प्रदान करती हैं, साथ ही लक्ष्मी के रूप में उसके घर में वास भी करती हैं।
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माँ कालरात्रि को ऐसे खुश करे
माँ कालरात्रि को ऐसे खुश करे नवरात्री के सातवे दिन माँ कालरात्रि घने अंधेरे की तरह एकदम गहरा काला रंग, तीन नेत्र, बिखरे हुए बाल, यही मां का सातवां विग्रह स्वरूप यानी कालरात्रि रूप है। मां के तीनों नेत्र ब्रह्मांड के गोले की तरह गोल हैं। उनके गले में विद्युत जैसी छटा देने वाली सफेद माला सुशोभित है। मां की चार भुजाएं हैं, जिनसे वे भक्तों को शुभ फल प्रदान करती हैं। माँ कालरात्रि का वाहन गधा है।
मां की चार भुजाओं में से दो में शस्त्र हैं- एक में चंद्रहास खड्ग और दूसरी में कांटेदार कटार। दूसरी ओर के एक हाथ अभय मुद्रा में और दूसरा वर मुद्रा में रखकर मां भक्तों को वर प्रदान करती हैं। मां का ऊपरी तन लाल रक्तिम वस्त्र से और नीचे का आधा भाग बाघ के चमड़े से ढका रहता है। मां नकारात्मक, तामसी और राक्षसी प्रवृत्तियों का विनाश करके भक्तों को दानव, दैत्य, राक्षस, भूत-प्रेत आदि भयावह शक्तियों से उनकी रक्षा कर अभय प्रदान करती हैं।
माँ कालरात्रि को ऐसे खुश करे
अगर आप नव्रत्र्री के अदीन माँ कालरात्रि को खुश करना चाहते हो, तो नवरात्री के सातवें दिन इस रूप की पूजा-अर्चना कर गुड़ का नैवेद्य अर्पित करने से मां साधक को शोकमुक्त रहने का वरदान देती हैं और भक्तों के घर दरिद्रता भी नहीं आने देती हैं।
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माँ महागौरी को ऐसे खुश करे
माँ महागौरी को ऐसे खुश करे नवरात्री के आठवें दिन मां महागौरी रूप में रहती हैं। माँ महागौरी के इस स्वरूप की आयु आठ वर्ष की है। उनके समस्त वस्त्राभूषण और वाहन भी हिम के समान सफेद या गौर रंग वाला वृषभ अर्थात बैल है। मां की चार भुजाएं हैं, जिनमें से एक हाथ अभय मुद्रा में अभय प्रदान करता है और दूसरा त्रिशूल थामे है। दूसरी ओर के एक हाथ में डमरू और दूसरा हाथ वर मुद्रा में रहकर सभी को आशीर्वाद प्रदान करता है।
माँ महागौरी को ऐसे खुश करे
अगर आप नवरात्री के दिन माँ महागौरी को खुश करना चाहते है, तो नवरात्री के आठवें दिन मां के इस रूप का ध्यान कर पूजा-अर्चना करने और श्रीफल (नारियल) का भोग लगाने से साधकों को मां सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं। इसके साथ ही इस दिन नारियल को सिर से घुमाकर बहते हुए जल में प्रवाहित करने से हर प्रकार की बाधा दूर हो जाती है।
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माँ सिद्धिदात्री को ऐसे खुश करे
माँ सिद्धिदात्री को ऐसे खुश करे नवरात्री में मां की नवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। माँ सिद्धिदात्री अपने इस स्वरूप से मां अपने भक्तों को ब्रह्मांड की सभी सिद्धियां प्रदान करती हैं। भगवान शिव ने भी उनके इसी रूप की कृपा से सिद्धियों को प्राप्त किया था, जिसके फलस्वरूप भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ और वे लोक में अर्द्धनारीश्वर के रूप में स्थापित हुए।
नवरात्र पूजन के नवें दिन भक्त और योगी साधक मां के इसी रूप की शास्त्रीय विधि-विधान से पूजा करते हैं। माँ सिद्धिदात्री चतुर्भुज और सिंहवाहिनी हैं। गति के समय मां सिंह पर तथा अचला रूप में कमल पुष्प के आसन पर बैठती हैं। मां के एक ओर के एक हाथ में चक्र और दूसरे हाथ में गदा रहता है। वहीं दूसरी ओर के एक हाथ में शंख और दूसरे हाथ में कमल पुष्प विद्यमान रहता है। नवरात्र के सिर्फ नवें दिन भी यदि कोई भक्त एकाग्रता और निष्ठा से मां की विधिवत पूजा करता है तो उसे सभी सिद्धियां प्राप्त हो जाती हैं।
माँ सिद्धिदात्री को ऐसे खुश करे
नवरात्र के नवें दिन मां की नवीं शक्ति की पूजा-अर्चना कर उन्हें विभिन्न प्रकार के अनाज, जैसे कि हलवा, पूरी, चना, खीर, पुए आदि का भोग लगाने से मां जीवन में सभी प्रकार की सुख-शांति का वरदान देती हैं।
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