Maa kalratri Vrat Katha Puja Vidhi | माँ कालरात्रि की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती

Maa kalratri Vrat Katha Puja Vidhi | मां कालरात्रिकी पूजा विधि कथा मंत्र और आरती। नवरात्रि के सातवें दिन देवी कालरात्रि की पूजा कैसे करे? इसकी पूरी जानकारी आप सभी को मेरी इस पोस्ट में मिलने वाली है।

Apr 8, 2024 - 14:15
Apr 9, 2024 - 07:20
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Maa kalratri Vrat Katha Puja Vidhi | माँ कालरात्रि की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती
Maa kalratri Vrat Katha Puja Vidhi

Maa kalratri Vrat Katha Puja Vidhi | मां कालरात्रिकी पूजा विधि कथा मंत्र और आरती। नवरात्रि के सातवें दिन देवी कालरात्रि की पूजा कैसे करे? इसकी पूरी जानकारी आप सभी को मेरी इस पोस्ट में मिलने वाली है।

Maa kalratri Vrat Katha Puja Vidhi

Maa kalratri Vrat Katha Puja Vidhi 

हमारे हिन्दू धर्म में हर साल नवरात्री का त्यौहार 2 बार आता है। एक आता है गर्मी शुरू होने पर (चैत्र नवरात्र) और एक आता है सर्दी शुरू होने पर। इन दोनों ही समय नवरात्री के दिन माता के 9 रूपों की पूजा का विधान है। यहाँ मैं आपको विस्तार से एक एक रूप के बारे में जानकारी देने वाला हु। ताकि आप सभी लोग माता के सभी रूपों की पूजा सही तरीके से कर सको। पूजा के बारे में बताने से पहले मैं इस साल नवराति की उस तारीख के बारे में बताने वाला हु। जिसमे आप देवी के अलग अलग रूप की पूजा कर सकते हो।

दुर्गापूजा के सातवें दिन माँ कालरात्रि की उपासना का विधान है। सम्पूर्ण प्राणियों की पीड़ा हरने वाली, अग्नि भय, जल भय, जन्तु भय, रात्रि भय दूर करने वाली, काम, क्रोध और शत्रुओं का नाश करने वाली, काल की भी रात्रि विनाशिका होने से उस देवी का नाम "कालरात्रि" पड़ा।

माँ कालरात्रि का श्लोक :

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी ।।

वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा । वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयन्करि ।।

माँ कालरात्रि स्वरुप :

अस्त्र-शस्त्र - तलवार

वाहन - गधा

देवी के शरीर का रंग काला, बाल बिखरे हुए, गले में मुंड माला, तीन नेत्र, गर्दभ (गदहा) है। दाहिना हाथ वरमुद्रा में, दूसरा हाथ अभयमुद्रा में है। बाई हाथ में लोहे का काँटा तथा नीचे वाले हाथ में खड्ग (कटार) है।

माँ कालरात्रि मंत्र 

ॐ भूर्भुवः स्वः कालरात्रि इहागच्छ इहतिष्ठ। कालरात्र्यै नमः ।

कालरात्रिमावाहयामि स्थापयामि नमः ।। 

पाद्यादि पूजनं विधाय ।। चण्डवीरां चण्डमायां रक्तबीज प्रभंजनीम् ।

तां नमामि च देवेशीं गायत्रीं पूजयाम्यहम् ।।

माँ कालरात्रि की आराधना महत्व :

इनकी पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति, दुश्मनों का नाश, तेज बढ़ता है। मां अपने भक्तों को सभी प्रकार के कष्टों और भय से मुक्त करती है और देवी वा‌सिद्धि और बुद्धिबल प्रदान करती है। दानव, दैत्य, राक्षस, भूत-प्रेत माँ कालरात्रि के स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर थक जाते हैं।

Maa kalratri Vrat Katha

पुरानी कथा के अनुसार रक्त बिज नाम का एक बहुत बड़ा राक्षस था। जो असुरों का राजा था उसके पास बहुत सारी शक्तियां थी। जिसकी वजह से सभी देवताओं को परेशान करता रहता था। रक्त बीच में यह वरदान प्राप्त किया था कि जब उसके खून की बूंद धरती पर गिरे तो बिल्कुल उसके जैसा शक्तिशाली दानव बन जाए। रक्त बिज से परेशान होकर सभी देवता यह शिकायत लेकर भगवान शिव के पास पहुंचे। महादेव यह जानते थे की देवताओ की रक्षा रक्त बिज से  मां दुर्गा ही कर सकती है और रक्त बिज का वध भी मां दुर्गा ही कर सकती है।  

तब सभी देवताओं और महादेव ने मां दुर्गा से अनुरोध किया। तो मां पार्वती ने ईश्वर शक्ति संस्थान किया। कालरात्रि देवी की उत्पत्ति मां दुर्गा की तेज से हुई है। इसके बाद देवी कालरात्रि ने रक्त बिज का वध किया। और उसके शारीर से निकलने वाले रक्त को देवी अपने खप्पर में भर लिया। इस तरह देवी ने रक्त बिज के खून की एक बूंद को जमीन पर नहीं गिरने दिया। और रक्तबीज का अंत कर दिया। 

माँ कालरात्रि की पूजा विधि

  • नवरात्री के दिन देवी माँ कालरात्रि की पूजा करने के लिए आप जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद देवी माँ कालरात्रि का स्मरण करे। 
  • इसके बाद पूजा करते टाइम फुल को हाथ में लेकर माँ कालरात्रि का ध्यान करे। 
  • इसके बाद देवी को पंचाम्त्र्र स्नान कराये, इसके बाद देवी को सुहाग की सामग्री भेट करे। 
  • माँ कालरात्रि को फुल कुमकुम सिंदूर अर्पित करे।      
  • इसके बाद माँ कालरात्रि को फुल चढाये और मंत्रो का जाप करे। 
  • इसके बाद माँ कालरात्रि को मिष्ठान का भोग लगाये और घी का दीपक कपूर से मा की आरती करे।   

आरती देवी कालरात्रि की 

  • आरती देवी कालरात्रि
  • कालरात्रि जय-जय-महाकाली।
  • काल के मुह से बचाने वाली ।।
  • दुष्ट सघारक नाम तुम्हारा।
  • महाचंडी तेरा अवतार ।।
  • पृथ्वी और आकाश पे सारा।
  • महाकाली है तेरा पसारा ।।
  • खडग खप्पर रखने वाली।
  • दुष्टों का लहू चखने वाली ।।
  • कलकत्ता स्थान तुम्हारा।
  • सब जगह देखूं तेरा नजारा ।।
  • सभी देवता सब नर-नारी।
  • गावें स्तुति सभी तुम्हारी ।।
  • रक्तदंता और अन्नपूर्णा ।
  • कृपा करे तो कोई भी दुःख ना।।
  • ना कोई चिंता रहे बीमारी।
  • ना कोई गम ना संकट भारी ।।
  • उस पर कभी कष्ट ना आयें।
  • महाकाली माँ जिसे बचाबे ।।
  • तू भी भक्त प्रेम से कह।
  • कालरात्रि माँ तेरी जय ।।
  1. पहले दिन होती है मां शैलपुत्री की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी 
  2. दूसरे दिन होती है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी 
  3. तीसरे दिन होती है मां चंद्रघंटा की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी 
  4. चौथे दिन होती है माँ कुष्मांडा की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी 
  5. पांचवे दिन होती है माँ स्कंदमाता की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी 
  6. छठे दिन होती है मां कात्यायनी की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी 
  7. सातवें दिन होती है मां कालरात्रि की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी 
  8. आठवें दिन होती है मां मां महागौरी की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी 
  9. आखिरी दिन होती है मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी 

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