Maa Katyayani Vrat Katha Puja Vidhi | माँ कात्यायनी की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती
Maa Katyayani Vrat Katha Puja Vidhi. Maa Katyayani Vrat Katha Puja Vidhi | मां कात्यायनी की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती। नवरात्रि के छठे दिन देवी कात्यायनी की पूजा कैसे करे? इसकी पूरी जानकारी आप सभी को मेरी इस पोस्ट में मिलने वाली है।
Maa Katyayani Vrat Katha Puja Vidhi. Maa Katyayani Vrat Katha Puja Vidhi | मां कात्यायनी की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती। नवरात्रि के छठे दिन देवी कात्यायनी की पूजा कैसे करे? इसकी पूरी जानकारी आप सभी को मेरी इस पोस्ट में मिलने वाली है।
Maa Katyayani Vrat Katha Puja Vidhi
हमारे हिन्दू धर्म में हर साल नवरात्री का त्यौहार 2 बार आता है। एक आता है गर्मी शुरू होने पर (चैत्र नवरात्र) और एक आता है सर्दी शुरू होने पर। इन दोनों ही समय नवरात्री के दिन माता के 9 रूपों की पूजा का विधान है। यहाँ मैं आपको विस्तार से एक एक रूप के बारे में जानकारी देने वाला हु। ताकि आप सभी लोग माता के सभी रूपों की पूजा सही तरीके से कर सको। पूजा के बारे में बताने से पहले मैं इस साल नवराति की उस तारीख के बारे में बताने वाला हु। जिसमे आप देवी के अलग अलग रूप की पूजा कर सकते हो।
माँ दुर्गा के छठे रूप को माँ कात्यायनी के नाम से पूजा जाता है। महर्षि कात्यायन की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर उनकी इच्छानुसार उनके यहां पुत्री के रूप में पैदा हुई थीं। महर्षि कात्यायन ने इनका पालन-पोषण किया इसलिए इनको कात्यायनी कहा गया।
माँ कात्यायनी का श्लोक :
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहन ।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी ।।
माँ कात्यायनी स्वरुप :
अस्त्र-शस्त्र - तलवार
वाहन - सिंह
माँ कात्यायनी का स्वरूप अत्यन्त दिव्य और स्वर्ण के समान चमकीला है। ये अपनी प्रिय सवारी सिंह पर विराजमान रहती हैं। इनकी चार भुजायें भक्तों को वरदान देती हैं, इनका एक हाथ अभय मुद्रा में है तो दूसरा हाथ वरदमुद्रा में है अन्य हाथों में तलवार तथा कमल का फूल है।
माँ कात्यायनी मंत्र
ॐ भूर्भुवः स्वः कात्यायनी इहागच्छ इहतिष्ठ। कात्यायन्यै नमः ।
कात्यायनीमावाहयामि स्थापयामि नमः ।। पाद्यादि पूजनम्बिधाय ।।
ॐ सुखानन्दकरीं शान्तां सर्वदेवैर्नमस्कृताम् । सर्वभूतात्मिकां देवी शाम्भवीं पूजयाम्यहम् ।।
माँ कात्यायनी की आराधना महत्व :
माँ कात्यायनी की भक्ति साधक को बड़ी सरलता से अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष चारों फल प्रदान करती है। व्यक्ति इस लोक में रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है। ऐसा साधक शोक, संताप, भय से मुक्त होता है तथा सर्वथा के लिए उसके कष्टों का अंत होता है?। कार्यों में आ रही बाधाएं दूर होती हैं। आय के साधनों में वृद्धि होती है और बेरोजगारों को रोजगार मिलता है।
Maa Katyayani Vrat Katha
पुरानी कथा के अनुसार कार्तिक गोत्र के विश्व प्रसिद्ध महर्षि कात्यायन के घर देवी ने जन्म लिया। महर्षि कात्यायन ने कई वर्ष तक मां दुर्गा की कठिन उपासना की थी। उनकी इच्छा थी की मां दुर्गा उनकी पुत्री बनाकर उनके घर में जन्म ले। उनकी तपस्या से खुश होकर मां दुर्गा ने उन्हें आशीर्वाद दिया और उनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली। फिर मां भगवती ने देवी कात्यानी के रूप में महर्षि कात्यायन के घर जन्म लिया। ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण इन्हें कात्यायनी कहा जाने लगा। देवी कात्यायनी ने कई असुरों और पापियों का वध किया। देवी कात्यायनी की पूजा करने से व्यक्ति का मन आज्ञा चक्र में स्थित रहता है।
माँ कात्यायनी की पूजा विधि
- नवरात्री के दिन देवी माँ कात्यायनी की पूजा करने के लिए आप जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद देवी माँ कात्यायनी का स्मरण करे।
- इसके बाद पूजा करते टाइम फुल को हाथ में लेकर माँ कात्यायनी का ध्यान करे।
- इसके बाद देवी को पंचाम्त्र्र स्नान कराये, इसके बाद देवी को सुहाग की सामग्री भेट करे।
- माँ कात्यायनी को फुल कुमकुम सिंदूर अर्पित करे।
- इसके बाद माँ कात्यायनी को फुल चढाये और मंत्रो का जाप करे।
- इसके बाद माँ कात्यायनी को मिष्ठान का भोग लगाये और घी का दीपक कपूर से मा की आरती करे।
आरती देवी कात्यायनी की
- आरती देवी कात्यायनी
- जय जय अंबे जय कात्यायनी।
- जय जगमाता जग की महारानी ।।
- बैजनाथ स्थान तुम्हारी।
- वहां वरदानी नाम पुकारा।।
- कई नाम है कई धाम हैं।
- यह स्थान भी तो सुखधाम है।।
- हर मंदिर में जोत तुम्हारी।
- कही योगेश्वरी महिमा न्यारी ।।
- हर जगह उत्सव होते रहते।
- हर मंदिर में भक्त हैं कहते ।।
- कात्यायनी रक्षक काया की।
- ग्रंथि काटे मोह माया की।।
- झूठे मोह से छुड़ानेवाली।
- अपना नाम जपनेवाली ।।
- बृहस्पतिवार को पूजा करियो।
- ध्यान कात्यायनी का धरियो ।।
- हर संकट को दूर करेगी।
- भंडारे भरपूर करेगी।।
- जो भी माँ को भक्त पुकारे।
- कात्यायनी सब कष्ट निवारे ।।
- पहले दिन होती है मां शैलपुत्री की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- दूसरे दिन होती है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- तीसरे दिन होती है मां चंद्रघंटा की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- चौथे दिन होती है माँ कुष्मांडा की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- पांचवे दिन होती है माँ स्कंदमाता की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- छठे दिन होती है मां कात्यायनी की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- सातवें दिन होती है मां कालरात्रि की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- आठवें दिन होती है मां मां महागौरी की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- आखिरी दिन होती है मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
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