Puja Karne ke Jaruri Niyam | पूजा करने के जरुरी नियम

Puja Karne ke Jaruri Niyam. पूजा करने के जरुरी नियम। अगर आप भी पूजा करते है और आपको पूजा करने के नियम की जानकारी चाहिए। तो आप बिलकुल सही जगह आये है।

Aug 21, 2024 - 08:00
Aug 20, 2024 - 16:39
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Puja Karne ke Jaruri Niyam | पूजा करने के जरुरी नियम
Puja Karne ke Jaruri Niyam

Puja Karne ke Jaruri Niyam. पूजा करने के जरुरी नियम। अगर आप भी पूजा करते है और आपको पूजा करने के नियम की जानकारी चाहिए। तो आप बिलकुल सही जगह आये है। आज मैं आप सभी को पूजा करने से जुड़े नियम की जानकारी विस्तार से देने वाला हु। ताकि आपको पूजा करने का फल प्राप्त हो सके।     

Puja Karne ke Jaruri Niyam

हमारे हिन्दू धर्म में बहुत से त्यौहार आते है। और हर त्यौहार हम सभी के ली स्पेशल होता है। इन त्योहारों को हब बहुत ही जोर शोर से बनाते है। साथ ही साथ त्यौहार से जुड़े भगवान की पूजा भी करते है। लेकिन अक्सर देखा गया है। पूजा का सही ज्ञान नहीं होने की वजह से हम पूजा तो कर लेते है। लेकिन हमे उसका फल प्राप्त नहीं हो पाता। तो इसलिए जरुरी है आप सभी को पूजा के सही नियम की जानकारी हो। ताकि आप सभी लोगो को पूजा करने par उसका फल प्राप्त हो सके। निचे मैंने आपको पूरी लिस्ट दे दी है। जिसमे मैंने पूजा करने के नियम की सभी जानकारी विस्तार से बताई है।         

पूजा करने के जरुरी नियम    

  • हमारे हिंदू धर्म में गणेश जी, दुर्गा जी, सूर्य, शिव और विष्णु यह पंचदेव कहलाते हैं। और उनकी पूजा सभी कार्यों में करना बहुत ज्यादा अनिवार्य है। प्रतिदिन पूजा करते समय इन पांच देवों का ध्यान करना चाहिए इसमें लक्ष्मी कृपा और स्मृति प्राप्त होती है।  
  • पूजा करते समय भगवान शिव, भगवान गणेश जी और भैरव जी को कभी भी तुलसी नहीं चढ़ाने चाहिए।  
  • तुलसी का पत्ता कभी भी स्नान किए बिना नहीं तोड़ना चाहिए। हमारे शास्त्रों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति स्नान किए बिना तुलसी के पत्तों को तोड़ता है। तो पूजन में भगवान इसे स्वीकार नहीं करते।  
  • गंगाजल को किसी प्लास्टिक धातु के बर्तन में नहीं रखना चाहिए। क्युकी प्लास्टिक धातु में गंगाजल रखने से उसकी महत्व खत्म हो जाती है। गंगाजल हमेशा तांबे के बर्तन में रखना शुभ माना जाता है।  
  • मंदिर और देवी देवता की मूर्ति के सामने कभी भी पीठ दिखाकर नहीं बैठना चाहिए हमेशा उनके सामने बैठना चाहिए।  
  • शिवलिंग पर कभी भी केतली का फूल अर्पित नहीं करना चाहिए।  
  • दूर्वा  एक प्रकार की घास है इसको रविवार में नहीं चडाना चाहिए।  
  • माता लक्ष्मी को विशेष रूप से कमल का फूल अर्पित करना चाहिए। इस फूल को पांच दिनों तक धोकर पूर्ण इस्तेमाल कर सकते हो। यानी आप इसको दोबारा चढ़ा सकते हो।  
  • हमारे शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव का प्रिय बेलपत्र 6 महीने तक बासी नहीं होता। अत इन्हें धोकर पूर्ण शिवलिंगों पर अर्पित किया जा सकता है।  
  • तुलसी के पत्ते 11 दिन तक बासी नहीं होते। इसलिए पत्तियों पर हर रोज पूर्ण भगवान को अर्पित किया जा सकता है।  
  • हम लोग अक्सर फूलों को हाथों में रखकर हाथों से भगवान को अर्पित करते है,  ऐसा नहीं करना चाहिए। फूल चढ़ाने के लिए फूल को किसी पवित्र पत्र में रखना चाहिए। और इसी पत्र से लेकर देवी देवताओं पर अर्पित करना चाहिए।  
  • आपको हमेशा एक बात का विशेष ध्यान रखना है कभी भी आपको दीपक से दीपक नहीं चलाना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति दीपक से दीपक चलाते हैं वह रोगी रहते हैं।  
  • रविवार और बुधवार को पीपल के वृक्ष में आपको जल अर्पित नहीं करना चाहिए।  
  • पूजा हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करनी चाहिए। यदि संभव हो तो आप सभी सुबह 6 से 8 के बीच में कर लीजिए क्योंकि यह समय बहुत शुभ होता है पूजा के लिए।  
  • घर के मंदिर में सुबह और शाम दीपक अवश्य चलाना चाहिए। एक दीपक घी का और एक दीपक तेल का जलाना चाहिए।  
  • पूजा और आरती पूर्ण होने के बाद उसी स्थान पर खड़े होकर आपको तीन बार परिक्रमा अवश्य करनी चाहिए।  
  • एकादशी, संक्रांति, रविवार तथा मध्यकाल में तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए।  
  • भगवान की आरती करते समय आपको एक बात का विशेष ध्यान रखना है,  कि भगवान के चरणों की चार बार आरती करें। नाभि की दो बार आरती करें। और मुख की एक या तीन पर आरती करें। इसके बाद भगवान के समस्त अंगों की कम से कम सात बार आरती करनी चाहिए।  
  • हमारे घर में पूजा हमारे घर में मूर्तियां ज्यादा बड़ी नहीं होनी चाहिए। तथा खड़े हुए गणेश जी सरस्वती जी और माता लक्ष्मी की मूर्तियां घर में नहीं होनी चाहिए।  
  • घर के मंदिर में गणेश या देवी की प्रतिमा तीन-तीन शिवलिंग दो शालिग्राम दो सूर्य प्रतिमा 2 गोमती चक्र दो की संख्या में कथा भी ना रखें। सभी आपको एक एक ही संख्या में रखने हैं ताकि आपके ऊपर भगवान का आशीर्वाद बना रहे।  
  • घर के मंदिर में सिर्फ प्रतिशत मूर्ति को ही रखें उपहार में दिए गए कांच की लकड़ी की या फाइबर की मूर्तियां ना रखें। और खंडित जल कटी फोटो और टूटी कांच को आपको तुरंत हटाना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार खंडित मूर्ति की पूजा करना वर्जित है। जो भी मूर्ति खंडित हो जाती है तो उसे पूजा स्थल से हटा देना चाहिए। और किसी पवित्र बहती नदी में प्रभावित कर देना चाहिए। खंडित मूर्ति की पूजा अशुभ मानी जाती है। इस संबंध में इस बात ध्यान रखने योग्य है कि सिर्फ शिवलिंग कभी भी किसी भी अवस्था में खंडित नहीं माना जाता।  
  • घर के मंदिर के ऊपर भगवान के वस्त्र पुस्तक के आभूषण आदि कवि ना रखें। अपनी पूंजी माता-पिता तथा पितरों की फोटो मंदिर में नहीं रखनी चाहिए। उन्हें घर के ने सत्य कोण में स्थापित करना चाहिए।  

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हमारे शास्त्रों के अनुसार देवी देवताओं की पूजा दिन में पांच बार करनी चाहिए। सुबह 5:00 बजे से लेकर 6:00 बजे तक ब्रह्म मुहूर्त में पूजा करना और आरती होनी चाहिए। इसके बाद सुबह 9:00 से 10 तक दूसरी पूजा होनी चाहिए। दोपहर में भी पूजा करनी चाहिए। इस पूजन के बाद भगवान को आराम करवाना चाहिए। और शाम के समय चार या 5:00 बजे आप सभी को पूर्ण पूजा और आरती करनी चाहिए। रात को 8 या 9:00 बजे आरती करनी चाहिए। जिन घरों में नियमित रूप से पांच बार पूजा की जाती है वहां सभी देवी देवताओं का वास होता है। और ऐसे घरो में सुख शांति आती है। और धन वैभव की कभी कोई कमी नहीं रहती है।   

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