Maa Kushmanda Vrat Katha Puja Vidhi | माँ कुष्मांडा की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती
Maa Kushmanda Vrat Katha Puja Vidhi | मां कुष्मांडा की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती। नवरात्रि के चोथे दिन देवी कुष्मांडा की पूजा कैसे करे? इसकी पूरी जानकारी आप सभी को मेरी इस पोस्ट में मिलने वाली है।
Maa Kushmanda Vrat Katha Puja Vidhi | मां कुष्मांडा की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती। नवरात्रि के चोथे दिन देवी कुष्मांडा की पूजा कैसे करे? इसकी पूरी जानकारी आप सभी को मेरी इस पोस्ट में मिलने वाली है।
Maa Kushmanda Vrat Katha Puja Vidhi
हमारे हिन्दू धर्म में हर साल नवरात्री का त्यौहार 2 बार आता है। एक आता है गर्मी शुरू होने पर (चैत्र नवरात्र) और एक आता है सर्दी शुरू होने पर। इन दोनों ही समय नवरात्री के दिन माता के 9 रूपों की पूजा का विधान है। यहाँ मैं आपको विस्तार से एक एक रूप के बारे में जानकारी देने वाला हु। ताकि आप सभी लोग माता के सभी रूपों की पूजा सही तरीके से कर सको। पूजा के बारे में बताने से पहले मैं इस साल नवराति की उस तारीख के बारे में बताने वाला हु। जिसमे आप देवी के अलग अलग रूप की पूजा कर सकते हो।
नवरात्र-पूजन के चौथे दिन कूष्माण्डा देवी के स्वरूप की ही उपासना की जाती है। त्रिविध ताप युक्त संसार इनके उदर में स्थित हैं, इसलिए ये भवगती 'कूष्माण्डा कहलाती हैं। ईषत् हंसने से अण्ड को अर्थात् ब्रह्माण्ड को जो पैदा करती हैं, वही शक्ति कूष्माण्डा हैं। जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी।
माँ कुष्मांडा का श्लोक :
सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ।।
माँ कुष्मांडा स्वरुप :
अस्त्र-शस्त्र - चक्र तथा गदा
वाहन - सिंह
माँ कुष्मांडा की आठ भुजाएँ हैं। अतः ये अष्टभुजा देनवी के नाम से भी विख्यात हैं। इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है। इनका वाहन सिंह है।
माँ कुष्मांडा मंत्र
ॐ भूर्भुवः स्वः कूष्माण्डे इहागच्छ इहतिष्ठ। कूष्माण्डायै नमः ।
कूष्माण्डामावाहयामि स्थापयामि नमः ।। पाद्यादिभिः पूजनम्बिधाय ।।
ॐ अणिमादि-गुणोदारां मकराकर चक्षुसम् ।
अनन्तशक्तिभेदां तां कामाक्षीं पूजयांम्यहम् ।।
माँ कुष्मांडा की आराधना महत्व :
माँ कूष्माण्डा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं। देवी आयु, यश, बल और आरोग्य देती हैं। शरणागत को परम पद की प्राप्ति होती है। इनकी कृपा से व्यापार व्यवसाय में वृद्धि व कार्यक्षेत्र में उन्नति, आय के नये मार्ग प्राप्त होते हैं।
Maa Kushmanda Vrat Katha
पुरानी कथा के अनुसार जब सृष्टि की उत्पत्ति नहीं हुई थी, यानी सृष्टि की उत्पत्ति होने से पूर्व चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा था। कोई भी जीव जंतु इस पृथ्वी पर नहीं था। तब मां दुर्गा की शक्ति कुष्मांडा देवी ने इस ब्रह्मांड की रचना की। इसी कारण इसे कुशमाता कहा जाता है।
शास्त्रों में उल्लेख है कि कुष्मांडा माता ने अपने मत हास्य से सृष्टि की रचना की थी। उनके पास इतनी शक्ति थी कि वह सूरज के घेरे में भी रह सकती थी। देवी कुष्मांडा माता सूरज के ताप को भी सहन कर सकती है। इनकी उपासना करने से भक्तों के जीवन में नहीं ऊर्जा उत्पन्न होती है। और सड़क को सभी प्रकार की शक्तियां प्राप्त होती है।
माँ कुष्मांडा की पूजा विधि
- नवरात्री के दिन देवी माँ कुष्मांडा की पूजा करने के लिए आप जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद देवी माँ कुष्मांडा का स्मरण करे।
- इसके बाद पूजा करते टाइम फुल को हाथ में लेकर माँ कुष्मांडा का ध्यान करे।
- इसके बाद देवी को पंचाम्त्र्र स्नान कराये, इसके बाद देवी को सुहाग की सामग्री भेट करे।
- माँ कुष्मांडा को फुल कुमकुम सिंदूर अर्पित करे।
- इसके बाद माँ कुष्मांडा को हरे रंग का फुल चढाये और मंत्रो का जाप करे। माँ कुष्मांडा को हरा रंग पसंद है। इसलिए इन्हें हरे रंग का फुल चढाये।
- इसके बाद माँ कुष्मांडाको मिष्ठान का भोग लगाये और घी का दीपक कपूर से मा की आरती करे।
आरती देवी कूष्मांडा की
- कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
- मुझ पर दया करो महारानी ।।
- पिंगला ज्वालामुखी निराली।
- शाकंबरी माँ भोली भाली।।
- लाखों नाम निराले तेरे।
- भक्त कई मतवाले तेरे।।
- भीमा पर्वत पर है डेरा।
- स्वीकारो प्रणाम ये मेरा ।।
- सबकी सुनती हो जगदंबे।
- सुख पहुँचती हो माँ अंबे ।।
- तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
- पूर्ण कर दो मेरी आशा ।।
- माँ के मन में ममता भारी।
- क्यों ना सुनेगी अरज हमारी ।।
- तेरे दर पर किया है डेरा।
- दूर करो माँ संकट मेरा।।
- मेरे कारज पूरे कर दो।
- मेरे तुम भंडारे भर दो।।
- तेरा दास तुझे ही ध्याए।
- भक्त तेरे दर शीश झुकाए ।।
- पहले दिन होती है मां शैलपुत्री की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- दूसरे दिन होती है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- तीसरे दिन होती है मां चंद्रघंटा की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- चौथे दिन होती है माँ कुष्मांडा की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- पांचवे दिन होती है माँ स्कंदमाता की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- छठे दिन होती है मां कात्यायनी की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- सातवें दिन होती है मां कालरात्रि की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- आठवें दिन होती है मां मां महागौरी की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- आखिरी दिन होती है मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
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