Maa Skandmata Vrat Katha Puja Vidhi | माँ स्कंदमाता की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती
Maa Kushmanda Vrat Katha Puja Vidhi | मां स्कंदमाता की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती। नवरात्रि के पाचवे दिन देवी स्कंदमाता की पूजा कैसे करे? इसकी पूरी जानकारी आप सभी को मेरी इस पोस्ट में मिलने वाली है।
Maa Skandmata Vrat Katha Puja Vidhi | मां स्कंदमाता की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती। नवरात्रि के पाचवे दिन देवी स्कंदमाता की पूजा कैसे करे? इसकी पूरी जानकारी आप सभी को मेरी इस पोस्ट में मिलने वाली है।
Maa Skandmata Vrat Katha Puja Vidhi
हमारे हिन्दू धर्म में हर साल नवरात्री का त्यौहार 2 बार आता है। एक आता है गर्मी शुरू होने पर (चैत्र नवरात्र) और एक आता है सर्दी शुरू होने पर। इन दोनों ही समय नवरात्री के दिन माता के 9 रूपों की पूजा का विधान है। यहाँ मैं आपको विस्तार से एक एक रूप के बारे में जानकारी देने वाला हु। ताकि आप सभी लोग माता के सभी रूपों की पूजा सही तरीके से कर सको। पूजा के बारे में बताने से पहले मैं इस साल नवराति की उस तारीख के बारे में बताने वाला हु। जिसमे आप देवी के अलग अलग रूप की पूजा कर सकते हो।
माता दुर्गा का स्वरूप "स्कन्द माता" के रूप में नवरात्रि के पांचवें दिन पूजा की जाती है। शैलपुत्री ने ब्रह्मचारिणी बनकर तपस्या करने के बाद भगवान शिव से विवाह किया। तदनन्तर स्कन्द उनके पुत्र रूप में उत्पन्न हुए। ये भगवान् स्कन्द कुमार कार्तिकेय के नाम से भी जाने जाते हैं। छान्दोग्य श्रुति के अनसार माता होने से वे "स्कन्द माता" कहलाती हैं।
माँ स्कंदमाता का श्लोक :
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ।।
माँ स्कंदमाता स्वरुप :
कर मुद्रा - वर
वाहन - सिंह
स्कंदमाता की दाहिनी भुजा में कमल पुष्प, बाईं भुजा वरमुद्रा में है। इनकी तीन आंखें और चार भुजाएं हैं। वर्ण पूर्णतः शुभ्र कमलासन पर विराजित और सिंह इनका वाहन है। इसी कारण इन्हें पद्मासन देवी भी कहा जाता है। पुत्र स्कंद इनकी गोद में बैठे हैं।
माँ स्कंदमाता मंत्र
ॐ भूर्भुवः स्वः स्कन्दमातः इहागच्छ इहतिष्ठ । स्कन्दमाते नमः ।
स्कन्दमातरमावाहयामि स्थापयामि नमः। पाद्यादि पूजनम्बिधाय ।।
चण्डवीरां चण्डमायां चण्डमुण्ड प्रभंजनीम् ।।
तां नमामि देवेशीं चण्डिकां पूजयाम्यहम् ।।
माँ स्कंदमाता की आराधना महत्व :
माँ स्कंदमाता की उपासना से भक्त की समस्त इच्छाएँ पूर्ण, इस मृत्युलोक में ही उसे परम शांति और सुख का अनुभव होने लगता है, मोक्ष मिलता है। सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक अलौकिक तेज एवं कांति से संपन्न हो जाता है। साधक को अभीष्ट वस्तु की प्राप्ति ॐ होती है और उसे तुलना रहित महान ऐश्वर्य मिलता है।
Maa Skandmata Vrat Katha
पुरानी मान्यता के अनुसार सती द्वारा से कोई एक में प्रश्न करने के बाद भगवान शिव सांसारिक संसार से अलग होकर कठिन तपस्या में लीन हो गए। इस समय देवता कांटा कसूर नामक असुर की अत्याचारों से कष्ट भोग रहे थे। तद्कसुर को यह वरदान था कि वह केवल शिव पुत्र के हाथों ही मारा जा सकता था। कथा के अनुसार ताड़का सुर ने एक बार खोल तपस्या से ब्रह्मा को प्रसन्न किया।
उसने ब्रह्मा जी से अमर होने का वर माँगा। किंतु ब्रह्मा जी ने कहा कि इस पृथ्वी पर जिसका जन्म हुवा है, उसे मरना भी पड़ेगा। इस पृथ्वी पर कोई भी अमर नहीं है। तब उसे ब्रह्मा जी से वरदान मांगा कि इस धरती पर कोई भी उसे मार नहीं सके। केवल शिव की संतान ने उसका वध करेगी। ताड़का सुर का यह मानना था की भोलेनाथ कभी शादी नहीं करेंगे और उनके पुत्र नहीं होगा।
सभी देवता की ओर से महर्षि नारद पार्वती जी के पास जाते हैं। और उनसे तपस्या करके भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए आग्रह करते हैं। हजारों सालों की तपस्या के बाद भगवान शिव माता पार्वती से विवाह करते हैं। भगवान शिव पार्वती की उर्जा मिलकर एक अत्यंत ज्वलन शील बिज को पैदा करते हैं। और भगवान कार्तिकेय का जन्म होता है। वह बड़े होकर सुंदर बुद्धिमान और शक्तिशाली कुमार बने।
ब्रह्मा जी से शिक्षा प्राप्त करने के बाद देवताओं ने सेनापति के रूप में सभी देवताओं ने उन्हें आशीर्वाद प्रदान किया। और ताड़का सुर के खिलाफ युद्ध के लिए विशेष हत्यार प्रदान किए। देवी स्कंदमाता ने ही कार्तिकी को युद्ध के लिए परीक्षण किया। भगवान कार्तिकेय ने एक भयंकर युद्ध में तारकासुर को मार डाला। इस प्रकार से इसके माता को स्कंद कुमार यानी कार्तिकेय की माता के रूप में विजय पूजा जाता है। स्कंद माता की पूजा करने से भगवान कार्तिकेय की पूजा अपने आप हो जाती है क्योंकि वह अपनी माता की गोद में विराजे हैं।
माँ स्कंदमाता की पूजा विधि
- जिस इंसान को संतान सुख की प्राप्त करनी है। उसे स्कंदमाता का व्रत जरुर करना चाहिए।
- नवरात्री के दिन देवी माँ स्कंदमाता की पूजा करने के लिए आप जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद देवी माँ स्कंदमाता का स्मरण करे।
- इसके बाद पूजा करते टाइम फुल को हाथ में लेकर माँ स्कंदमाता का ध्यान करे।
- इसके बाद देवी को पंचाम्त्र्र स्नान कराये, इसके बाद देवी को सुहाग की सामग्री भेट करे। माता को नीला रंग बहुत पसंद है। इसलिए माता का आसान भी नील रंग का बिझाये।
- माँ स्कंदमाता को फुल कुमकुम सिंदूर अर्पित करे।
- इसके बाद माँ स्कंदमाता को नीले रंग का फुल चढाये और मंत्रो का जाप करे।
- इसके बाद माँ स्कंदमाताको मिष्ठान का भोग लगाये और घी का दीपक कपूर से मा की आरती करे।
आरती देवी स्कंदमाता की
- आरती देवी स्कंदमाता
- जय तेरी हो स्कंद माता।
- पांचवां नाम तुम्हारा आता ।।
- सबके मन की जानन हारी।
- जग जननी सबकी महतारी ।।
- तेरी जोत जलाता रहूं मैं।
- हरदम तुझे ध्याता रहूं मैं।।
- कई नामों से तुझे पुकारा।
- मुझे एक है तेरा सहारा ।।
- कहीं पहाड़ों पर है डेरा।
- कई शहरों में तेरा बसेरा ।।
- हर मंदिर में तेरे नजारे।
- गुण गाएं तेरे भक्त प्यारे।।
- भक्ति अपनी मुझे दिला दो।
- शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।।
- इंद्र आदि देवता मिल सारे।
- करें पुकार तुम्हारे द्वारे ।।
- दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए।
- तू ही खंडा हाथ उठाए।।
- दासों को सदा बचाने आयी।
- भक्त की आस पुजाने आयी।।
- पहले दिन होती है मां शैलपुत्री की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- दूसरे दिन होती है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- तीसरे दिन होती है मां चंद्रघंटा की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- चौथे दिन होती है माँ कुष्मांडा की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- पांचवे दिन होती है माँ स्कंदमाता की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- छठे दिन होती है मां कात्यायनी की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- सातवें दिन होती है मां कालरात्रि की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- आठवें दिन होती है मां मां महागौरी की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- आखिरी दिन होती है मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
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