Maa Brahmacharini Vrat Katha Puja Vidhi | माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती
Maa Brahmacharini Vrat Katha Puja Vidhi. माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती। नवरात्रि की दूसरी देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा कैसे करे? इसकी पूरी जानकारी आप सभी को मेरी इस पोस्ट में मिलने वाली है।
Maa Brahmacharini Vrat Katha Puja Vidhi. माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती। नवरात्रि की दूसरी देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा कैसे करे? इसकी पूरी जानकारी आप सभी को मेरी इस पोस्ट में मिलने वाली है।
Maa Brahmacharini Vrat Katha Puja Vidhi
हमारे हिन्दू धर्म में हर साल नवरात्री का त्यौहार 2 बार आता है। एक आता है गर्मी शुरू होने पर (चैत्र नवरात्र) और एक आता है सर्दी शुरू होने पर। इन दोनों ही समय नवरात्री के दिन माता के 9 रूपों की पूजा का विधान है। यहाँ मैं आपको विस्तार से एक एक रूप के बारे में जानकारी देने वाला हु। ताकि आप सभी लोग माता के सभी रूपों की पूजा सही तरीके से कर सको। पूजा के बारे में बताने से पहले मैं इस साल नवराति की उस तारीख के बारे में बताने वाला हु। जिसमे आप देवी के अलग अलग रूप की पूजा कर सकते हो।
नवरात्र पर्व के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान शिव से विवाह हेतु प्रतिज्ञाबद्ध होने के कारण ये ब्रह्मचारिणी कहलायीं। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। जो भी मनुष्य नवरात्री के दिन माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना करता है। उसके जीवन में आने वाली सभी रूकावटे दूर हो जाती है। और उसे हर काम में सफलता मिलती है।
माँ ब्रह्मचारिणी का श्लोक :
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलु ।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ।।
माँ ब्रह्मचारिणी स्वरुप :
- कर-वस्तु - कमंडल व माला
- वाहन - पैर
देवी ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में जप की माला है और बायें हाथ में कमंडल है। देवी ब्रह्मचारिणी साक्षात ब्रह्म का स्वरूप हैं अर्थात तपस्या का मूर्तिमान रूप हैं। यह देवी भगवती दुर्गा, शिवस्वरूपा, गणेशजननी, नारायणी, विष्णु माया और पूर्ण ब्रह्मस्वरूपिणी के नाम से प्रसिद्ध हैं।
माँ ब्रह्मचारिणी मंत्र
- ॐ भूर्भुवः स्वः ब्रह्मचारिणी! इहागच्छ इहतिष्ठ ।
- ब्रह्मचारिण्यै नमः । ब्रह्मचारिणीमावाहयामि स्थापयामि नमः ।।
- पाद्यादिभिः पूजनम्बिधाय ।। ॐ त्रिपुरा त्रिगुणाधारां मार्गज्ञान-स्वरूपिणाम् ।
- त्रैलोक्य-वन्दितां देवी त्रिमूर्ति पूजयाम्यहम् ।।
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा आराधना महत्व :
देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है। जीवन के कठिन संघर्षों में भी उसका मन कर्तव्य पथ से विचलित नहीं होता है। देवी अपने साधकों की मलिनता. दुर्गुणों और दोषों को नष्ट करती हैं। देवी की कृपा से सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है।
Maa Brahmacharini Vrat Katha
शास्त्रों के अनुसार देवी Brahmacharini ने हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया था। और भगवान शंकर को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए उन्होंने बहुत तपस्या की थी। इतनी कठिन तपस्या के कारण ही इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। माता Brahmacharini ने तपस्या के दौरान एक हजार वर्ष तक फल खाए और 100 वर्षों तक जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया।
माता ने कठिन उपवास रखे। और खुले आकाश के नीचे वर्षा हो या धुप हर कष्ट सहती रही। माता ने 3000 वर्ष तक सिर्फ बेलपत्र खाए। और भगवान शंकर का ध्यान करती रही। तीन हजार वर्षों तक तपस्या करने के बाद देवी ने बेलपत्र भी खाना छोड़ दिया। और कई हजार वर्षों तक निराधार रहकर कोई तपस्या करती रही। कुछ सालो के बाद देवी ब्रह्मचारी ने पत्तों को भी खाना छोड़ दिया था। इसलिए इनका नाम आर्प्र्ना पड़ गया।
जब देवी ब्रह्मचारिणी ने इतनी तपस्या करी तो उनका शरीर झिन हो गया था। तब सभी देवता ऋषि मुनि ने देवी ब्रह्मचारी की तपस्या को एक पुण्य कर्त्य बताया। और सभी देवताओं ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि देवी की सभी मनोकामना पूर्ण हो, और भगवान चंद्र महोत्सव आपको पति के रूप में मिलेंगे।
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
- नवरात्री के दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करने के लिए आप जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद देवी ब्रह्मचारिणी का स्मरण करे।
- इसके बाद पूजा करते टाइम फुल को हाथ में लेकर देवी ब्रह्मचारिणी का ध्यान करे।
- इसके बाद देवी को पंचाम्त्र्र स्नान कराये, इसके बाद देवी को सुहाग की सामग्री भेट करे।
- देवी ब्रह्मचारिणी को फुल कुमकुम सिंदूर अर्पित करे
- इसके बाद देवी ब्रह्मचारिणी को कमल का फुल चढाये और मंत्रो का जाप करे।
- इसके बाद देवी को मिष्ठान का भोग लगाये और घी का दीपक कपूर से मा की आरती करे।
आरती माँ ब्रह्मचारिणी की
- आरती देवी ब्रह्मचारिणी
- जय अंबे ब्रह्मचारिणी माता।
- जय चतुरानन प्रिय सुख दाता ।।
- ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
- ज्ञान सभी को सिखलाती हो।।
- ब्रह्म मंत्र है जाप तुम्हारा।
- जिसको जपे सरल संसारा ।।
- जय गायत्री वेद की माता।
- जो जन जिस दिन तुम्हें ध्याता ।।
- कमी कोई रहने ना पाए।
- उसकी विरति रहे ठिकाने ।।
- जो तेरी महिमा को जाने।
- रद्रक्ष की माला ले कर ।।
- जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
- आलस छोड़ करे गुणगाना ।।
- माँ तुम उसको सुख पहुंचाना।
- ब्रह्मचारिणी तेरो नाम।।
- पूर्ण करो सब मेरे काम।
- भक्त तेरे चरणों का पुजारी ।।
- रखना लाज मेरी महतारी।
- पहले दिन होती है मां शैलपुत्री की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- दूसरे दिन होती है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- तीसरे दिन होती है मां चंद्रघंटा की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- चौथे दिन होती है माँ कुष्मांडा की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- पांचवे दिन होती है माँ स्कंदमाता की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- छठे दिन होती है मां कात्यायनी की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- सातवें दिन होती है मां कालरात्रि की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- आठवें दिन होती है मां मां महागौरी की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- आखिरी दिन होती है मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
What's Your Reaction?