Maa Shailputri Vrat Katha Puja Vidhi | मां शैलपुत्री की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती

Maa Shailputri Vrat Katha Puja Vidhi. मां शैलपुत्री की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती। नवरात्रि की पहली देवी देवी शैलपुत्री की पूजा कैसे करे? इसकी पूरी जानकारी आप सभी को मेरी इस पोस्ट में मिलने वाली है। 

Apr 2, 2024 - 08:00
Apr 9, 2024 - 10:04
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Maa Shailputri Vrat Katha Puja Vidhi | मां शैलपुत्री की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती
Maa Shailputri Vrat Katha Puja Vidhi

Maa Shailputri Vrat Katha Puja Vidhi. मां शैलपुत्री की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती। नवरात्रि की पहली देवी देवी शैलपुत्री की पूजा कैसे करे? इसकी पूरी जानकारी आप सभी को मेरी इस पोस्ट में मिलने वाली है। 

Maa Shailputri Vrat Katha Puja Vidhi

Maa Shailputri Vrat Katha Puja Vidhi 

हमारे हिन्दू धर्म में हर साल नवरात्री का त्यौहार 2 बार आता है। एक आता है गर्मी शुरू होने पर (चैत्र नवरात्र) और एक आता है सर्दी शुरू होने पर। इन दोनों ही समय नवरात्री के दिन माता के 9 रूपों की पूजा का विधान है। यहाँ मैं आपको विस्तार से एक एक रूप के बारे में जानकारी देने वाला हु। ताकि आप सभी लोग माता के सभी रूपों की पूजा सही तरीके से कर सको। पूजा के बारे में बताने से पहले मैं इस साल नवराति की उस तारीख के बारे में बताने वाला हु। जिसमे आप देवी के अलग अलग रूप की पूजा कर सकते हो।         

चैत्र नवरात्र 2024 Date (Chaitra Navratri Date 2024)

  1. 09 April 2024 ? घटस्थापना, मां शैलपुत्री की पूजा
  2. 10 April 2024 ? मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
  3. 11 April 2024 ? मां चंद्रघंटा की पूजा
  4. 12 April 2024 ? मां कुष्मांडा की पूजा
  5. 13 April 2024 ? मां स्कंदमाता की पूजा
  6. 14 April 2024 ? मां कात्यायनी की पूजा
  7. 15 April 2024 ? मां कालरात्रि की पूजा
  8. 16 April 2024 ? मां महागौरी की पूजा
  9. 17 April 2024 ? मां सिद्धिदात्री की पूजा, राम नवमी

मां शैलपुत्री की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती

देवी दुर्गा के नौ रूप होते हैं। दुर्गाजी पहले स्वरूप में 'शैलपुत्री' के नाम से जानी जाती हैं। ये ही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। नवरात्र-पूजन में प्रथम दिवस इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है।

मां शैलपुत्री का श्लोक :

  • वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम ।
  • वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ।।

मां शैलपुत्री का स्वरुप :

  • अस्त्र-शस्त्र - त्रिशूल
  • वाहन - गाय

वृषभ-स्थिता माता शैलपुत्री खड्ग, चक्र, गदा, धनुष, बाण, परिघ, शूल, भुशुण्डी, कपाल और शंख को धारण करने वाली, सम्पूर्ण आभूषणों से विभूषित, नीलमणि के समान कान्ति युक्त, दस मुख और दस चरणवाली हैं। इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएँ हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है।

मां शैलपुत्री मंत्र 

  • ॐ भूर्भुवः स्वः शैलपुत्री इहगच्छ इहतिष्ठ। शैलपुत्र्यै नमः।
  • शैलपुत्रीमावाहयामिस्थापयामि नमः ।। पाद्यादिभिः पूजनम्बिधायः ।।
  • ॐ जगत्पूज्ये जगद्वन्द्ये सर्वशक्तिस्वरूपिणी ।
  • पूजा गृहाण कौमारि! जगत्मातर्नमोस्तुते ।।

मां शैलपुत्री की पूजा आराधना महत्व :

मां शैलपुत्री की पूजा की आराधना करने से साधक को कुसंस्कारों, दुर्वासनाओं तथा आसुरी वृत्तियों के साथ संग्राम कर उन्हें नष्ट करने का सामर्थ्य प्राप्त होता है। यह देवी शक्ति, दृढ़ता, आधार व स्थिरता की प्रतीक हैं। इसके अतिरिक्त उपरोक्त मंत्र का नित्य एक माला जाप करने पर सभी • मनोरथ सिद्ध होते हैं। इस देवी की उपासना जीवन में स्थिरता देती है।

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Maa Shailputri Vrat Katha

माता शैलपुत्री को सती के नाम से भी जाना जाता है। पुरानी कथा के अनुसार रजा दझ  ने यज्ञ करवाने का फैसला लिया। राजा दक्ष ने उस यज्ञ में सभी देवी देवताओं को निमंत्रण भेजा। लेकिन भगवान शिव को और पार्वती को नहीं बुलाया। देवी सती जानती थी उनके पिता निमंत्रण जरूर भेजेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ माता पार्वती यज्ञ में जाने के लिए अत्यंत बेचैन थी। लेकिन महादेव के द्वारा मना करने के बाद भी देवी पार्वती उस यज्ञ में पहुंच गई। 

उन्होंने देखा कि कोई भी उनसे आदर और प्रेम से बातचीत नहीं कर रहा। वहां सभी लोग देवी सती के पति यानी महादेव की तृषा कर रहे थे, और उनका अपमान कर रहे थे। राजा दक्ष ने भगवान शिव का बहुत अपमान किया। अपने पति का अपमान सहन नहीं कर पाने के कारण देवी सती ने यज्ञ की अग्नि में खुद को सुहाग कर अपने प्राण त्याग दिए। भगवान से जैसे ही यह सब देखा तो वो बहुत दुखी हुए। और दुख और गुस्से की जाल में महादेव ने उस यज्ञ को ध्वज कर दिया। देवी सती को पूर्ण हिमालय यानी पर्वत राज हिमालय के यहां जन्म लिया और शैलपुत्री की कहलाई। 

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मां शैलपुत्री की पूजा विधि 

  • नवरात्री के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ़ कपड़े पहने 
  • इसके बाद माँ देवी के पूजा वाले स्थान पर चोकी को गंगाजल से साफ़ करके माँ दुर्गा की मूर्ति की स्थापना करे और घट स्थापना करे। 
  • यदि आप माता के व्रत रखना चाहते है। तो आप मां शैलपुत्री का ध्यान करके व्रत का संकल्प ले और माता की आराधना करे। 
  • पूजा के समय माँ को रोली चावल लगाये और सफेद फूलो की माला पहनाये। माता को सफ़ेद रंग अति प्रिय है। इसलिए उन्हें सफ़ेद फूलो की माला पहनाये और सफ़ेद वस्त्र पहनाये। 
  • इसके बाद धुप दीप जलाकर माता की आरती उतारे। इसके बाद सफेद मिठाई का भोग लगाये। 
  • अब  मां शैलपुत्री की स्तुति करे और दुर्गा चालीसा का पाठ करे। 
  • नवरात्री में 9 दिन तक घर में रोज कपूर जलाना चाहिए और कपूर से ही माँ की आरती करनी चाहिए  

आरती मां शैलपुत्री की 

  • शैलपुत्री मां बैल असवार। करें देवता जय जयकार।
  • शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी।
  • पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
  • ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।
  • सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।
  • उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।
  • घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।
  • श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।
  • जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।
  • मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।
  1. पहले दिन होती है मां शैलपुत्री की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी 
  2. दूसरे दिन होती है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी 
  3. तीसरे दिन होती है मां चंद्रघंटा की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी 
  4. चौथे दिन होती है माँ कुष्मांडा की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी 
  5. पांचवे दिन होती है माँ स्कंदमाता की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी 
  6. छठे दिन होती है मां कात्यायनी की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी 
  7. सातवें दिन होती है मां कालरात्रि की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी 
  8. आठवें दिन होती है मां मां महागौरी की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी 
  9. आखिरी दिन होती है मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी 

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