Maa Chandraghanta Vrat Katha Puja Vidhi | माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती
Maa Chandraghanta Vrat Katha Puja Vidhi. माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती। नवरात्रि की तीसरी देवी चंद्रघंटा की पूजा कैसे करे? इसकी पूरी जानकारी आप सभी को मेरी इस पोस्ट में मिलने वाली है।
Maa Chandraghanta Vrat Katha Puja Vidhi. माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती। नवरात्रि की तीसरी देवी चंद्रघंटा की पूजा कैसे करे? इसकी पूरी जानकारी आप सभी को मेरी इस पोस्ट में मिलने वाली है।
Maa Chandraghanta Vrat Katha Puja Vidhi
हमारे हिन्दू धर्म में हर साल नवरात्री का त्यौहार 2 बार आता है। एक आता है गर्मी शुरू होने पर (चैत्र नवरात्र) और एक आता है सर्दी शुरू होने पर। इन दोनों ही समय नवरात्री के दिन माता के 9 रूपों की पूजा का विधान है। यहाँ मैं आपको विस्तार से एक एक रूप के बारे में जानकारी देने वाला हु। ताकि आप सभी लोग माता के सभी रूपों की पूजा सही तरीके से कर सको। पूजा के बारे में बताने से पहले मैं इस साल नवराति की उस तारीख के बारे में बताने वाला हु। जिसमे आप देवी के अलग अलग रूप की पूजा कर सकते हो।
मां दुर्गा की तीसरी शक्ति हैं चंद्रघंटा। इस देवी के मस्तक में घण्टा के आकार का अर्द्धचन्द्र है। इसीलिए इनका नाम चंद्रघंटा है। इनके चण्ड भयंकर घण्टे की ध्वनि से सभी दुष्ट दैत्य-दानव एवं राक्षसों के शरीर का नाश होता है।
माँ चंद्रघंटा का श्लोक :
पिण्डजप्रवरारुढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता ।
प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता ।।
माँ चंद्रघंटा स्वरुप :
अस्त्र-शस्त्र- खड्ग
वाहन - सिंह
मां चंद्रघंटा के शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। देवी के तीन नेत्र और दस हाथ हैं। इनके कर कमल गदा, धनुष-बाण, खड्ग, त्रिशूल और अस्त्र-शस्त्र लिये, अग्नि जैसे वर्ण वाली, ज्ञान से जगमगाने वाली और दीप्तिमती हैं। ये सिंह पर आरूढ़ हैं तथा युद्ध में लड़ने के लिए उन्मुख हैं।
माँ चंद्रघंटा की पूजा आराधना महत्व :
मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक के समस्त पाप और बाधाएँ विनष्ट हो जाती हैं। माँ की कृपा से साधक पराक्रमी और निर्भयी हो जाता है। प्रेतबाधा से रक्षा करती है, इनकी आराधना से वीरता निर्भयता के साथ ४ ही सौम्यता एवं विनम्रता का विकास होकर मुख, नेत्र तथा संपूर्ण काया का सोभाग्य मिलता है।
माँ चंद्रघंटा मंत्र
- ॐ भूर्भुवः स्वः चन्द्रघण्टे इहागच्छ इहतिष्ठ। चन्द्रघण्टायै नमः ।
- चन्द्रघण्टामावाहयामि स्थापियामि नमः ।। पाद्यादिभिः पूजनम्बिधाय ।।
- ॐ कालिकां तु कलातीतां कल्याणहृदयां शिवाम्।
- कल्याणजननीं नित्यं कल्याणीं पूजयाम्यहम् ।।
Maa Brahmacharini Vrat Katha
पुरानी कथाओं के अनुसार प्राचीन समय में देवताओं और असुरों के बीच बहुत लंबे समय तक युद्ध चला। देवताओं के स्वामी भगवान इंद्र थे और असुरों के स्वामी महिषासुर थे। और असुरों का स्वामी महिषासुर था जब युद्ध समाप्त हुआ तो महिषासुर ने देवताओं पर विजय प्राप्त कर ली। और इंद्र का शासन हासिल कर स्वर्ग लोक पर राज करने लगा।
महिषासुर की आतंक के कारण सभी देवता परेशान हो गए थे। और इस समस्या का हल निकालने के लिए सभी देवता महादेव ब्रह्मा और विष्णु के पास गए। सभी देवताओं में त्रिदेव को बताया कि राक्षस महिषासुर ने इंद्र चंद्र सूर्य वायु और अन्य सभी देवताओं की अधिकार छीन लिए। और उन्हें बंधक बनाकर स्वर्ग लोक में रखा है। महिषासुर की अत्याचार के कारण अन्य सभी देवता पृथ्वी पर जाने का विचार कर रहे हैं और उन्हें स्वर्ग से निकाल दिया गया है।
यह सुनकर त्रिदेव यानी ब्रह्मा विष्णु और भोलेनाथ को बहुत गुस्सा आया। और उनके गुस्से की वजह से तीनों के मुख से उर्जा उत्पन्न हुई। इन तीनों की ऊर्जा के साथ ही अन्य देवता कानों की ऊर्जा भी उस ऊर्जा से जाकर मिल गई। इस ऊर्जा से वहां एक देवी का अवतरण हुआ। और उन देवी का नाम चंद्रघंटा पड़ा। भगवान महादेव ने मां चंद्रघंटा को त्रिशूल और भगवान विष्णु ने उन्हें एक चक्र प्रदान किया। इसी प्रकार सभी देवताओं ने उन्हें अस्त्र-शास्त्र भेंट किया।
भगवान इंद्र ने अपना वस्त्र और ऐरावत हाथी से उतर कर एक घंटा दिया। सूर्य ने अपना तेज और तलवार चंद्रघंटा को दिया। और सवारी के लिए एक सिंह प्रदान किया इसी वजह से इस ऊर्जा का नाम देवी चंद्रकांता पड़ा। देवी चंद्रघंटा ने ही महिषासुर का वध किया था।
जब देवी चंद्रघंटा महिषासुर के पास आई तो वह समझ गया था, कि वह उसका कल्याणी मृत्यु आ गई है। देवी चंद्रघंटा ने एक ही झटके में महिषासुर और अन्य सभी बड़े दानवो का वध कर दिया। और इसी प्रकार देवताओं को असुरों के अत्याचार से मुक्ति दिलाई।
माँ चंद्रघंटाकी पूजा विधि
- नवरात्री के दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा करने के लिए आप जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद देवी चंद्रघंटा का स्मरण करे।
- इसके बाद पूजा करते टाइम फुल को हाथ में लेकर देवी चंद्रघंटा का ध्यान करे।
- इसके बाद देवी को पंचाम्त्र्र स्नान कराये, इसके बाद देवी को सुहाग की सामग्री भेट करे।
- देवी चंद्रघंटा को फुल कुमकुम सिंदूर अर्पित करे।
- इसके बाद देवी चंद्रघंटा को पीले रंग का फुल चढाये और मंत्रो का जाप करे। माँ चंद्रघंटा को पिला रंग ज्यादा पसंद है।
- इसके बाद देवी को मिष्ठान और गुड का का भोग अवश्य लगाये और घी का दीपक कपूर से मा की आरती करे।
आरती माँ चंद्रघंटा की
- आरती देवी चन्द्रघण्टा
- जय माँ चन्द्रघंटा सुख धाम।
- पूर्ण कीजो मेरे काम ।।
- चन्द्र समाज तू शीतल दाती।
- चन्द्र तेज किरणों में समाती ।।
- क्रोध को शांत बनाने वाली।
- मीठे बोल सिखाने वाली ।।
- मन की मालक मन भाती हो।
- चंद्रघंटा तुम वर दाती हो।।
- सुन्दर भाव को लाने वाली।
- हर संकट में बचाने वाली ।।
- हर बुधवार को तुझे ध्याये।
- श्रद्दा सहित तो विनय सुनाए ।।
- मूर्ति चन्द्र आकार बनाए।
- शीश झुका कहे मन की बाता।।
- पूर्ण आस करो जगत दाता।
- कांचीपुर स्थान तुम्हारा ।।
- कर्नाटिका में मान तुम्हारा।
- नाम तेरा रटू महारानी ।।
- भक्त की रक्षा करो भवानी।
- पहले दिन होती है मां शैलपुत्री की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- दूसरे दिन होती है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- तीसरे दिन होती है मां चंद्रघंटा की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- चौथे दिन होती है माँ कुष्मांडा की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- पांचवे दिन होती है माँ स्कंदमाता की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- छठे दिन होती है मां कात्यायनी की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- सातवें दिन होती है मां कालरात्रि की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- आठवें दिन होती है मां मां महागौरी की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
- आखिरी दिन होती है मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि कथा मंत्र और आरती की जानकारी
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