Diwali Puja Vidhi | दिवाली की सरल पूजा विधि
Diwali Puja Vidhi. दिवाली की सरल पूजा विधि। दीपावली पर माँ लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की आसान विधि। दिवाली पर पूजा कैसे करे? क्या आप दिवाली की पूजा विधि आसान भाषा में प्राप्त करना चाहते है। तो मेरे इस आर्टिकल में आपको दिवाली की पूजा की सम्पूर्ण जानकारी आसान भाषा में मिलने वाली है।
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Diwali Puja Vidh
कार्तिक कृष्ण अमावस्या के दिन समुद्रमन्थन के दौरान क्षीर सागर से महालक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था। और इस दिन देवता सहित सम्पूर्ण सृष्टि ने माँ लक्ष्मी की पूजा- अर्चना की थी। तभी से इस तिथि को कमला जयन्ती एवं महालक्ष्मी पूजन के रूप में जाना जाता है। दीपावली पर महालक्ष्मी रात्रि में विचरण करती हैं और यह देखती हैं कि किन-किन घरों में साफ- सफाई एवं दीपमाला प्रज्वलित की गई है। वे उन घरों में आगामी एक वर्ष के लिए निवास करती हैं, जिनमें साफ-सफाई एवं दीपमाला प्रज्वलित की जाती है। दीपावली पर भगवान् राम 14 वर्ष का वनवास पूर्ण करने के उपरान्त अयोध्या जब वापस लौटे, तब उनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने दीपमाला प्रज्वलित की थी। तब से दीपावली पर दीपमाला प्रज्वलन की परम्परा आरम्भ हुई और वह आज तक बनी हुई है।
दीपावली पर महालक्ष्मी पूजन का महत्व
मान्यता है कि कार्तिक अमावस्या को देवी महालक्ष्मी भगवान विष्णु के साथ विश्व भ्रमण पर निकलती हैं। वे जहां अपनी पूजा- उपासना होते देखती हैं, वहां निवास करती हैं। शास्त्रों में पूजा का विधान बताया गया है। सात्विक मन, श्रद्धाभाव और आस्था से परिवार के साथ किया गया 'महालक्ष्मी पूजन' सार्थक होता है।
दीपावली पूजा के लिए पूजन सामग्री
- रौली, मौली, धूप-अगरबत्ती, कपूर, केसर, चंदन, चावल, जनेऊ 6, जोत, पान 11, साबुत सुपारी 18, फूलमाला 2, दूर्ब, लौंग-इलायची, इत्र, फल- फूल, गाय का कच्चा दूध, दही, शहद, गंगाजल, देसी घी, आम-पीपल-बड़ आदि के पत्ते (पंच पल्लव), हल्दी की गांठ, गुड़, सरसों, नारियल 2, गिरी गोला, लकड़ी की चौकी। मिट्टी का दीपक बड़ा 1, छोटे 15, घंटी।
- महालक्ष्मी-गणेश की मूर्ति, जिसमें महालक्ष्मी 'धनवर्षा' करती दिखें; वस्त्र-आभूषण, गणेश-महालक्ष्मी पाना (चित्र), अनार की या साधारण कलम, बहीखाते, तांबे या मिट्टी का नया कलश, पीला-सफेद-लाल वस्त्र, सिक्के, रुपए, श्रीयंत्र।
- खील-बताशे, मिठाई-मेवे, ईख, तुलसी दल, कमल गट्टा या माला।
दिवाली पूजन की तैयारी ऐसे करे
- दीपावली वाले दिन सुबह पूजा स्थल (मंदिर) की सफाई करें।
- मिट्टी के 15 दीपक प्रज्वलित कर घर के चारों कोणस्थ रखें। आंगन में भी दीप/मोमबत्ती प्रज्वलित कर उजाला करें। पूर्वजों को नमन करें। (जैसी कुलरीति परंपरा चली आई, वैसा जरूर करें)।
- चौकी पर श्वेत/पीत वस्त्रों से आसन बनाकर गणेशजी के दाहिनी ओर देवी महालक्ष्मी को अष्टकमल दल पर स्थापित करें।
- श्री महालक्ष्मी के साथ कुबेर, श्रीयंत्र और सरस्वतीजी की फोटो स्थापित करें। पास में पवित्र पात्र में केसर युक्त चंदन रखें। रुपए- आभूषण, कलश स्थापित करें। धूप-दीपक-घंटी-नैवेद्य (मिठाई, फल, मेवा, खील, बताशे, ईख आदि) रखें।
- सायंकाल (प्रदोष काल, स्थिर लग्न) स्नानादि कर, स्वच्छ वस्त्र पहनकर पूजा शुरू करें।
दीवाली की सरल पूजा विधि : ऐसे करें पूजन
- पूर्व की ओर मुंह करके अपने और परिवार पर जल के छींटे देकर पवित्रीकरण करें। 3 बार आचमन भी करें। कहेंः (ॐ केशवाय नमः, ॐ माधवाय नमः, ॐ नारायणाय नमः)।
- हाथ धोएं। सब पर जल के छींटें देकर पूजा सामग्री पर भी छिड़कें।
- ॐ अपवित्रः पवित्रो वाऽसर्वाऽवस्था गतोऽपिवा। यः स्मरेत पुण्डरी काक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचि ॥
या यह कह सकते हैंः साधक अपवित्र-पवित्र या जिस भी स्थिति में है, जो भगवान विष्णु का स्मरण करता है, वह बाहर-भीतर सब ओर से शुद्ध हो जाता है।' - आसन शुद्धि के बाद पृथ्वी माता को गंध (चंदन आदि), अक्षत के छींटे देकर जल छोड़ें और पुष्प जमीन पर छोड़ें। कहेंः ॐ पृथ्वी त्वयाधृता लोका देवित्वं विष्णुनाधृता। त्वं च धारयमां देवि पवित्रं कुरु चाऽसनम् ॥
- अब ॐ दीपेभ्यो नमः मंत्र बोलते हुए ज्योति प्रज्वलित करें।
- गंध-अक्षत-पुष्प-नैवेद्य-आचमनीयम समर्पयामी कहते हुए धूप जलाएं, घंटी पर गंध अक्षत आदि लगाकर घंटी बजाएं।
- अब गणेश, महालक्ष्मी, सरस्वती आदि पर गंध (चंदनादि) के छींटे दें। हाथ में फूल लेकर 'स्वस्तिवाचन करें।' कहें- सभी देवी-देवताओं को सात्विक मन-वचन से प्रणाम करता हूं। मेरी आराधना स्वीकार करें। अपने माता-पिता, गुरु-ब्राह्मण और ज्ञात-अज्ञात पूर्वजों को भी नमन करता हूं। (पुष्प चढ़ा दें)।
- महालक्ष्मी पूजा संकल्प के लिए जल, अक्षत, पुष्प, सुपारी और द्रव्य आदि लेकर संकल्प करें : 'हे भगवान महालक्ष्मी नारायण और सम्मुख विराजित देव ! (इस साल जिस तारीख और दिन को दिवाली हो आप उसे ही याद करके बोलना) आज संवत 2079, याम्यायन गोल, शरद ऋतु, कार्तिक मास, कृष्ण पक्ष की पुण्य तिथि अमावस्या, दिन सोमवार, चित्रा नक्षत्र, विषकुंभ योग, ... लग्ने, ... बेला में अपने पिता एवं पूर्वजों के पुण्य प्रताप से .गोत्र, ... नाम, ... स्थान, मनशोदिष्ट कामना सिद्धि प्राप्ति के लिए स्थिर मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर जी का पूजन कर रहा हूं। आपकी कृपा से मेरी पूजा सफल हो।'
- संकल्प गणेश, महालक्ष्मी, कुबेर आदि देवताओं के पास छोड़ें।
- अब हाथ में पुष्प, दूर्ब आदि लेकर गणेशजी का पूजन करें। फल-फूल, दीप-धूप, गंध, फूल उन्हें अर्पित कर नमस्कार करें।
- कलश पूजें। (पानी भरे कलश में सुपारी, दूर्ब, फूल डालें, आम के पत्ते लगाएं। ऊपर नारियल रख लाल कपड़ा लपेटें या मौली बांधें)।
- कलश पर फूल, फल आदि चढ़ाकर पुनः पुष्प लेकर हाथ जोड़ें।
- इसी प्रकार नवग्रह को बारी-बारी से सब पूजा सामग्री चढ़ाएं।
- अब श्री महाकाली (दवात) लेखनी और सरस्वती की पूजा रुपए और पुष्प चढ़ाकर करें।
- स्थिर लक्ष्मी प्राप्ति हेतु प्रसन्नचित्त कमलदल पर विराजित धन- द्रव्य वर्षा करती महालक्ष्मी का ध्यान करें। आपके हाथ में रक्तपुष्प, कमलगट्टा एवं सब पूजा द्रव्य हों।
या पद्मासनस्था विपुलकटितटी पद्यत्रायताक्षी। गम्भीरावर्त नाभिस्तनभरनमिता शुभ्रवत्रोत्तरीया ॥ या लक्ष्मीर्दिव्य रूपैर्मणिगण खचितैः स्नापिता हेमकुम्भैः । सा नित्यं पद्महस्ता मम वसतु गृहे सर्वमांगल्ययुक्ताः ॥ - पूजा सामग्री महालक्ष्मीजी को चढ़ाएं। उनकी फिर पूजा करें।
- महालक्ष्मीजी को फिर से गंध-अक्षत पूजा सामग्री चढ़ाएं।
- अब महालक्ष्मीजी की आरती करें। आरती को चार बार भगवान के चरणों में, दो बार नाभिदेश में, एक बार मुखमंडल और सात बार समस्त अंगों पर घुमाएं। फिर सपरिवार आरती लें। गणेशजी व माता लक्ष्मी को पुष्प अर्पित करें। क्षमा प्रार्थना करते हुए प्रणाम करें।
दिवाली पूजन के बाद क्या करना चाहिए
- महालक्ष्मी माता के सम्मुख एक बड़ा दीपक प्रज्वलित रहे, जो 'अखंड' पूरी रात जलता रहे। रातभर झाडू नहीं लगाना चाहिए।
- महालक्ष्मी के निमित्त यज्ञ करना चाहें तो पूजन के बाद कर सकते हैं। महालक्ष्मी साधना हेतु जाप करना चाहें तो पूजन के बाद ॐ श्रीं श्रीयै नमः, महालक्ष्म्यै नमः में किसी एक मंत्र का जाप करें।
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